आज इस पोस्ट के माध्यम से हम जानेंगे कि बजट क्या है एवं इसकी महत्वपूर्ण बातें कौन-कौन सी हैं आप अक्सर पढ़ते होंगे कि प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार द्वारा बजट जारी किया जाता है यह बजट किस आधार पर तैयार होता है एवं इसमें कौन-कौन सी महत्वपूर्ण बातें शामिल होती है इन सभी के बारे में आप जान सकते हैं हमने संपूर्ण जानकारी बजट से संबंधित नीचे उपलब्ध करवा दी है जो आपको अपने आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए जरूर याद करनी चाहिए
बजट क्या है
- बजट किसी देश की आर्थिक स्थिति एवं सरकार की प्राथमिकताओं का परिचालक होता हैं।
- सरकार द्वारा प्रस्तुत किया गया बजट एक सामान्य व्यक्ति से लेकर वृहत औद्योगिक गतिविधियों तक सभी को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से प्रभावित करता हैं।
- संविधान में बजट को वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है। दूसरे शब्दों में, ‘बजट’ शब्द का संविधान में कहीं उल्लेख नहीं है। यह ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ के नाम से प्रचलित है तथा इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद-112 में किया गया है।
घाटे के प्रमुख प्रकार
- सरल शब्दों में घाटे का अर्थ व्यय का आय की तुलना में अधिक होना।
a. बजटीय घाटा – सरकार की कुल सार्वजनिक व्यय एवं कुल सार्वजनिक प्राप्तियों का अंतर बजट घाटा कहलाता है।
बजट घाटा = कुल सार्वजनिक व्यय – कुल सार्वजनिक प्राप्तियाँ
b. राजकोषीय घाटा – सार्वजनिक व्यय का ऐसा भाग जो राजस्व प्राप्तियों तथा गैर-ऋण पूँजी प्राप्तियों से पूरा न होने पर सार्वजनिक उधार देयता से पूरा किया जाता है वह राजकोषीय घाटा कहलाता है।
c. राजस्व घाटा – राजस्व प्राप्ति पर राजस्व व्यय का आधिक्य राजस्व घाटा कहलाता है। (राजस्व घाटा = राजस्व व्यय – राजस्व प्राप्तियाँ)
d. प्राथमिक घाटा – चालू वर्ष के बजट व्यवहार के कारण होने वाले घाटे को प्राथमिक घाटा कहते हैं। इसे राजकोषीय घाटे में से ब्याज अदायगिया निकालकर ज्ञात किया जा सकता है।
प्राथमिक घाटा = राजकोषीय घाटा – ब्याज अदायगिया
e. मौद्रिक्रत घाटा- जब घाटे की वित्तीय व्यवस्था को नोट निर्गमन के द्वारा पूरा किया जाता है तो उसे मौद्रिक्रत घाटा कहते हैं और उस घाटे को मौद्रिक घाटा कहते हैं।
मौद्रिक घाटा = बजटीय घाटा + सार्वजनिक बजट में RBI का योगदान
बजट शब्दावली
वित्त विधेयक – नये करों को लागू करने, पुराने करों में घटते-बढ़ते या उन्हें यथावत रखने के बारे में सरकारी प्रस्ताव वित्त विधेयक कहलाता है। संविधान के अनुच्छेद-110 के अनुसार वित्त विधेयक एक धन विधेयक है।
आकस्मिक कोष – अप्रत्याशित और आकस्मिक खर्च के लिए संसद से सरकार यह आकस्मिक कोष स्वीकार कराती है, जिस पर प्रतिवर्ष
संसद की अलग स्वीकृति की आवश्यकता नहीं होती। रकम की निकासी के बाद में संसद की स्वीकृति प्राप्त कर ली जाती है और खर्च की गई धनराशि निधि में वापस जमा कर दी जाती है। इस पर राष्ट्रपति का नियंत्रण होता है।
विनियोग विधेयक – संसद द्वारा स्वीकृत बजट में से आवश्यक धनराशि निकालने के लिए जो विधेयक पेश किया जाता है, उसे विनियोग विधेयक कहते हैं।
अनुदान माँग – बजट में अलग-अलग विभागों की अपने विकास और कार्य संचालन पर व्यय किए जाने वाले माँग को अनुदान माँग कहते हैं। बजट पर बहस के दौरान यह माँग प्राय: संबंधित विभाग के मंत्री द्वारा ही प्रस्तुत की जाती है और वहीं बहस का जवाब भी देते हैं।
कटौती प्रस्ताव –संसद सदस्यों द्वारा बजट में शामिल खर्च को कम करने के लिए जो प्रस्ताव पेश किए जाते हैं, उन्हें कटौती प्रस्ताव कहते हैं। इन प्रस्तावों का असली उद्देश्य बजट के उस भाग पर विस्तार से बहस करना होता है। यदि कोई कटौती प्रस्ताव सरकार की इच्छा के विपरीत पारित हो जाए तो उसका सरकार के विरुद्ध अविश्वास माना जाता है।
लेखानुदान –पिछला बजट 31 मार्च को समाप्त हो जाता है इसके बाद उसे नहीं बढ़ाया जा सकता। इसलिए संसद अस्थायी रूप से सरकार को व्यय के लिए अग्रिम धनराशि देती है जिसे लेखानुदान कहते हैं।
केन्द्रीय बजट 2022-23 की मूख्य बाते
– भारत की आर्थिक वृद्धि दर 9.2 प्रतिशत अनुमानित है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
– 14 क्षेत्रों में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना के तहत 60 लाख नए रोज़गार का सृजन होगा।
– अगले 25 साल में भारत @100 के अमृत काल में प्रवेश करते हुए बजट में 4 प्राथमिकताओं पर विकास दिया गया है।
– पीएम गतिशक्ति
– समेकित विकास
– उत्पाद संवर्धन एवं निवेश, सनराज अवसर, ऊर्जा संक्रमण तथा जलवायु कार्य
– निवेश को विलिय मदद
राजकोषीय प्रंबधन
– बजट अनुमान 2021-22 = 34.53 लाख करोड़ रुपए।
– संशोधित अनुमान 2021-22 = 37.70 लाख करोड़ रुपए।
– वर्ष 2022-23 में कुल अनुमानित व्यय = 39.45 लाख करोड़ रुपए।
– वर्ष 2022-23 में उधारी के अलावा कुल प्राप्तियाँ = 22.84 लाख करोड़ रुपए।
– चालु वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीड़ीपी का 6.9 प्रतिशत।
– वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटा जीड़ीपी का 6.4 प्रतिशत अनुमानित है।
आर्थिक समीक्षा 2021-22 की मुख्य बातें
अर्थव्यवस्था की स्थिति
– 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट के बाद 2021-22 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 9.3 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
– 2022-23 में जीड़ीपी के वास्तविक रूप में 8-8.5 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान है।
राजकोषीय विकास
- 2021-22 के बजट अनुमानों में 9.6 प्रतिशत की अपेक्षित वृद्धि हुई है।
- सकल कर राजस्व में सालाना आधार पर अप्रैल से नवम्बर 2021 के दौरान 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है।
मौद्रिक प्रबधंन और वित्तिय मध्यस्थता
- 2021-22 में रेपो रेट 4 फिसदी पर बनाए रखा गया था।
- अप्रैल-नवम्बर 2021 में 75 इनिशियल पब्लिक आँफरिग [IPO] जारी करके 89,066 करोड़ रुपए जुटाए गए।
कीमते और मुद्रास्फीति
- थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित थोक मुद्रास्फीति 2021-22 के दौरान बढ़कर 12.5 प्रतिशत हो गई।
- दालों और खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए गए।
सतत् विकास और जलवायु परिवर्तन
- भारत में विश्व का दसवां सबसे बड़ा वन क्षेत्र है।
- 2020 में जंगलों ने भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24% कवर किया, जो दुनिया के कुल वन क्षेत्र का 2% है।
- प्लास्टिक पैकेजिंग के लिए विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व पर मसौदा विनियमन अधिसूचित किया गया था।
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