जैसा कि अपने ऊपर टाइटल में पढ़ ही दिया होगा इस पोस्ट में हम सौरमंडल क्या है इसके ग्रह एवं आकाशीय पिंड के नोट्स उपलब्ध करवा रहे हैं अगर आप जानना चाहते हैं इसकी की उत्पत्ति कैसे हुई एवं सौरमंडल के ग्रह कितने हैं इन सभी के बारे में विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो हमारी इस पोस्ट को पूरा पढ़ें साथ ही हमने इसमें आकाशीय पिंड के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्रदान की है ताकि आप इस एक ही पोस्ट में संपूर्ण सौर मंडल के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकें
सौरमंडल क्या है
· सूर्य, पृथ्वी सहित आठ ग्रहों, उनके उपग्रहों तथा अन्य खगोलीय पिंडों को सौरमंडल में शामिल किया जाता है।
· सभी आठ ग्रह निश्चित कक्षाओं में दीर्घवृत्ताकार मार्ग में सूर्य की परिक्रमा करते हैं तथा अपनी धूरी पर घूर्णन करते हैं।
· सौरमंडल मंदाकिनी/आकाशगंगा के केन्द्र से लगभग 30,000 से 33000 प्रकाश वर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है और सूर्य इसके केन्द्र में स्थित है। सूर्य संपूर्ण सौर परिवार के प्रकाश व ऊर्जा का मुख्य स्रोत है।
· बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल ग्रह आंतरिक (Inner Planets) ग्रह कहलाते हैं, इन्हें पार्थिव ग्रह (Terrestrial) भी कहा जाता है। ये चारों ग्रह पृथ्वी की भाँति ही शैलों और धातुओं से बने हैं और आकार में छोटे व अपेक्षाकृत अधिक घनत्व वाले हैं।
· शेष चारों ग्रह बाह्य ग्रह कहलाते हैं। यह गैस से बने विशाल ग्रह/ जोवियन (Jovian) ग्रह भी कहलाते है। इनका घनत्व कम होता है। बृहस्पति की तरह होने के कारण इन्हें जोवियन ग्रह कहा जाता है।
· सभी ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करते हैं लेकिन शुक्र व अरुण इसके अपवाद हैं। इसकी घूर्णन की दिशा पूर्व से पश्चिम है।
· नासा (NASA) के अनुसार शनि के सर्वाधिक 82 उपग्रह, बृहस्पति के 79, अरुण के 27, वरुण के 14, मंगल के 2, पृथ्वी के 1 तथा शुक्र व बुध के कोई उपग्रह नहीं है।
आकाशीय पिंड (Celestial Bodies)
► मंदाकिनी आकाशगंगा (Mikey Way Galaxy)
· पृथ्वी जिस आकाशगंगा में स्थित है उसे मंदाकिनी कहा जाता है। इसकी आकृति सर्पिलाकार है। अनेक तारों, धूलकणों व गैसों के समूह को ही आकाशगंगा कहा जाता है। ये सभी खगोलीय पिंड गुरुत्वाकर्षण बल द्वारा एक-दूसरे से बंधे होते हैं।
► नीहारिका (Nebula)
· नीहारिका गैस व धूलकणों से मिलकर बना हुआ एक अत्यधिक प्रकाशमान आकाशीय पिंड है।
► तारामंडल (Constellation)
· तारों के समूह को तारामंडल कहा जाता है। इनकी विशिष्ट आकृतियों के आधार पर इनका नामकरण किया जाता रहा है। IAU (इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन) के अनुसार तारामंडल की संख्या 89 मानी गई है। ज्यादातर तारामंडल दक्षिणी गोलार्द्ध की तरफ स्थित है।
► उल्कापिंड
· ये धूल व गैस निर्मित बाह्य (Outer) अंतरिक्ष में तीव्र गति से घूमते हुए अत्यंत सूक्ष्म ब्रह्मांडीय कण हैं। ये पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण के कारण पृथ्वी के वायुमंडल में चट्टानों के रूप में प्रवेश करते हैं। जिन्हें ‘उल्कापिंड’ कहा जाता है।
► धूमकेतु (Comets)
· ये आकाशीय धूलकण, गैस, बर्फ आदि पदार्थों से निर्मित आकाशीय पिंड है। ये सूर्य की परिक्रमा करते हैं। हैली एक प्रसिद्ध धूमकेतु (पुच्छल तारा) है, जो प्रति 76 वर्ष पश्चात दिखाई देता है। इसकी कक्षा परवलयाकार एवं अति परवलयाकार होती है।
► क्षुद्रग्रह (Asteroid)
· ये छोटे-छोटे आकाशीय पिंड है, जो मंगल एवं बृहस्पति के बीच स्थित है। इनकी संख्या 45000 मानी गई है। चार वेस्टा (four Vesta) एकमात्र ऐसा क्षुद्रग्रह है, जिसे आंखों से देखा जा सकता है।
► उल्का (Meteors)
· उल्का ठोस आकाशीय पदार्थ है, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करने पर उसके घर्षण (गुरूत्वाकर्षण) के कारण जलने लगते हैं। ये रात्रि में तारों की तरह टूटते हुए प्रतीत होते हैं। इन्हें शूटिंग स्टार (Shooting star) अथवा उल्काश्म कहा जाता है।
► नक्षत्र (Asterism)
· अंतरिक्ष में तारों के समूह को नक्षत्र कहा जाता है। IAU ने इनकी संख्या 27 मानी हैं लेकिन भारतीय खगोलशास्त्रियों व मनीषियों ने 28 नक्षत्र माने हैं। अभीजित को 28वें नक्षत्र के रूप में परिकल्पित किया हैं।
► ध्रुव तारा (Pole star)
· पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव के ऊपर स्थित तारे को ध्रुव तारा कहा जाता है। प्राचीन समय में यात्री इसी ध्रुव तारे के माध्यम से दिशा का ज्ञान करते थे।
हमारा सौरमण्डल
· सौरमण्डल में सूर्य, ग्रह, उपग्रह, क्षुद्र ग्रह, उल्का पिण्ड, धूमकेतू, धूलकण तथा गैसें पायी जाती है।
सौर मण्डल के सदस्य
1. सूर्य 2. ग्रह
3. उपग्रह 4. क्षुद्रग्रह
5. उल्कापिंड 6. धूमकेतू
7. धूल कण तथा गोले
► सूर्य
· सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में लगभग 8 मिनट तथा 18 सेकण्ड या लगभग (500 सेकण्ड) का समय लगता है।
· सूर्य पर गैसें :-
1. हाइड्रोजन – 71%
2. हीलियम – 26.5%
3. अन्य गैसें – 2.5%
सौरमंडल के ग्रह
· वे खगोलिय पिण्ड जो सूर्य के चारों ओर एक निश्चित पथ में परिक्रमण करते हैं तथा इनका अपना कोई ऊर्जा का स्रोत नहीं होता है और निश्चित आकार एंव घनत्व होता है, वे ग्रह कहलाते हैं।
1. बुध 2. शुक्र
3. पृथ्वी 4. मंगल
5. बृहस्पति 6. शनि
7. अरुण 8. वरुण
· ग्रहों का आकार – (घटते हुए क्रम में)
बृहस्पति > शनि > अरुण > वरुण > पृथ्वी > शुक्र > मंगल > बुध
बुध/(Mercury)
· सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह।
· सबसे छोटा ग्रह।
· परिक्रमण काल 88 दिन।
· सबसे कम परिक्रमण काल।
· कोई उपग्रह नहीं।
· बुध पर कोई वायुमण्डल नहीं पाया जाता है।
शुक्र (Venus)
· God of Beauty (सुन्दरता का देवता)
· सूर्य से दूसरे स्थान पर स्थित है।
· सबसे गर्म ग्रह (क्योंकि इसके वायुमण्डल में 90-95% CO2) गैस है।
· सबसे चमकीला ग्रह
· पृथ्वी के सबसे नजदीकी ग्रह
· शुक्र को भोर का तारा एवं साँझ का तारा भी कहते हैँ।
· शुक्र का परिक्रमण काल 225 दिन हैं लेकिन शुक्र का घूर्णन (परिभ्रमण) काल 243 दिन हैँ।
· सर्वाधिक घूर्णन काल वाला ग्रह।
· सुर्योदय पश्चिम दिशा से होता है तथा कोई उपग्रह नहीं है।
· शुक्र पृथ्वी का जुड़वा ग्रह कहलाता है। (समान आकार व घनत्व के कारण)
उत्तर प्रदेश की जलवायु – ग्रीष्म ऋतू , वर्षा ऋतू एवं शीत ऋतू
पृथ्वी (Earth)
· पृथ्वी सौर मण्डल का एक मात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन है। पृथ्वी अपने अक्ष पर 23 12 डिग्री झुकी हुई है।
· पृथ्वी ध्रुवों के पास थोड़ी चपटी होने के कारण इसके आकार को भू-आभ कहा जाता है।
· पृथ्वी का घूर्णन काल 23 घण्टे 56 मिनट 4 सेकंड लगभग पूरा दिन का होता है।
· पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर लगाने में लगे समय को सौर वर्ष कहते हैं।
· चंद्रमा पृथ्वी का एक मात्र उपग्रह है।
मंगल (Mars)
- दूसरा सबसे छोटा ग्रह।
- आयरन ऑक्साइड की अधिकता के कारण मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहा जाता है।
- मंगल ग्रह का परिक्रमण काल 687 दिन।
- मंगल ग्रह का घूर्णन काल पृथ्वी के घूर्णन काल के लगभग बराबर है।
पृथ्वी 23 घण्टे 56 मिनट
मंगल 24 घण्टे 37 मिनट
· ओलंपस मॉन्स ज्वालामुखी-मंगल ग्रह पर हमारे सौरमण्डल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है।
· निक्स ओलम्पिया पर्वत – मंगल ग्रह पर स्थित है, जो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना बड़ा है।
बृहस्पति (Jupiter)
- क्षुद्र ग्रह मंगल और बृहस्पति के मध्य परिक्रमण करते हैं।
- सबसे बड़ा ग्रह है।
- सबसे अधिक उपग्रहों (79) वाला ग्रह।
- परिक्रमण काल लगभग 11.86 वर्ष है।
- सबसे तीव्र घूर्णन गति वाला ग्रह-लगभग 9 घंटा 55 मिनट हैं।
शनि (Satrun)
- शनि अंतिम ग्रह है जिसे नग्न आँखों से देखा जा सकता है।
- शनि पीले रंग का ग्रह कहलाता है।
- दूसरा सबसे बड़ा ग्रह तथा सूर्य से छठे स्थान पर मिलता है।
- परिक्रमण काल = 29.5 वर्ष
- दूसरा तीव्र घूर्णन गति करने वाला ग्रह है। (9 घंटा 40 मिनट)
अरुण (Uranus)
· अरुण ग्रह की खोज सन् 1781 में ब्रिटिश खगोल शास्त्री विलियम हर्शेल द्वारा की गई।
· अरुण ग्रह तीसरा सबसे बड़ा ग्रह तथा सूर्य से 7वें स्थान पर स्थित है।
· अरुण के चारों ओर 10 वलय (Rings) पायी जाती हैं।
· यह ग्रह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूर्णन करता है इसलिए इस ग्रह पर सूर्योदय-पश्चिम से तथा सूर्यास्त पूर्व से होता है।
· इस ग्रह को लेटा हुआ ग्रह भी कहते हैं क्योंकि यह अपने अक्ष पर लगभग 8212 ° झुका हुआ है। इसके 27 उपग्रह हैं।
वरुण (Neptune)
· वरुण ग्रह की खोज सन् 1846 में जर्मन खगोलशास्त्री जॉन गॉले द्वारा की गई।
· हमारे सौरमण्डल का सबसे बाहरी ग्रह है।
· सौरमण्डल का सबसे ठण्डा और सबसे लम्बा ग्रह है।
तापमान- 228°(-228°c)
· सर्वाधिक परिक्रमण काल (165 वर्ष) वाला ग्रह है।
· वरुण ग्रह के 14 उपग्रह हैं।
प्लूटो/यम/कुबेर (Pluto)
· प्लूटो को ग्रीक समुद्री देवता कहा जाता है।
· प्लूटो की खोज वर्ष 1930 में क्लाडस थॉम्बॉग नामक खगोलशास्त्री द्वारा की गई।
· IAU ने 2006 में ग्रहों की श्रेणी से हटाकर, इसे बौना ग्रह घोषित किया।
IAU-International Astronomical Union (अन्तर्राष्ट्रीय खगोल संघ)
· 24 अगस्त, 2006 को प्राग (चेक गणराज्य) अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन हुआ यहाँ पर ग्रहों के लिए मापदण्ड तय किया गया। आकार, कक्ष, घनत्व के आधार पर मापदण्ड तय किया गया।
· सौरमण्डल के प्रमुख बौने ग्रह – प्लूटो, सेरेस, शेरौन/मेकमेक, एरिस, हामा
उपग्रह (Satellite)
· वे खगोलीय पिण्ड जो ग्रहों के चारो और परिक्रमण करते हैं उन्हें उपग्रह कहते हैं।
चन्द्रमा (Moon)
· चन्द्रमा की उत्पत्ति 4.6 मिलियन वर्ष पहले हुई थी।
· चन्द्रमा पर वायुमण्डल अनुपस्थित है।
· चन्द्रमा का परिक्रमण काल – 27 दिन, 7 घण्टे, 43 मिनट हैं।
· चन्द्रमा पर दिखाई देने वाले काले धब्बों को शांति सागर कहते हैं।
· चन्द्रमा से पृथ्वी की दूरी 3,84,400 किमी. है।
सुपर मून (Super Moon)
· Perigee- इस स्थिति में चन्द्रमा 14% अधिक बड़ा तथा 30% अधिक चमकीला दिखाई देता है।
· Apogee – चन्द्रमा एवं पृथ्वी के मध्य अधिकतम दूरी
· Perigee – चन्द्रमा एवं पृथ्वी के मध्य न्यूनतम दूरी
ब्लू मून (Blue Moon)
· जब एक कैलेण्डर माह में दो पूर्णिमाएँ आती हैं तो इस घटना को ब्लू मून कहते हैं।
· ऐसा प्रत्येक तीन वर्ष में होता है।
· (2 जनवरी तथा 31 जनवरी 2018) तक ब्लू मून वाला महिना था।
· ब्लू मून ईयर – जब किसी वर्ष में दो या दो से अधिक ब्लू मून माह आने/प्राप्त होते हैं तो उसे ब्लू मून ईयर कहते हैं।
ध्रुव तारा/North Star/Polistar – ये तारा सदैव उत्तर दिशा में चमकता है।
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