जब भारत में 1857 का विद्रोह हुआ तो उसके क्या परिणाम हुआ आज की इस पोस्ट में हम इसके बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं 1857 के विद्रोह के बारे में आपको आधुनिक भारत का इतिहास विषय में पढ़ने के लिए मिलता है और यह टॉपिक उन सभी विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही है यहां हमने विद्रोह से संबंधित महत्वपूर्ण बातों को साझा किया है जो अक्सर पेपर में पूछी जाती है इसलिए हमारे द्वारा उपलब्ध करवाई गई इन नोट्स को आगामी परीक्षा की तैयारी के लिए जरूर पढ़ें
विद्रोह का परिणाम
– स्वतंत्रता संग्राम की दृष्टि से भले ही यह विद्रोह असफल रहा हो, परंतु इसके दूरगामी परिणाम काफी उपयोगी रहे। मुगल साम्राज्य का दरवाजा सदा के लिए बंद हो गया। ब्रिटिश क्राउन ने कंपनी से भारत पर शासन करने के सभी अधिकार वापस ले लिए।
– 1 नवंबर, 1858 को इलाहाबाद में आयोजित दरबार में लॉर्ड कैनिंग ने महारानी विक्टोरिया की उद्घघोषणा को पढ़ा। उद्घघोषणा में भारत में कंपनी का शासन समाप्त कर भारत का शासन सीधे क्राउन के अधीन कर दिया गया।
– इस अधिनियम के द्वारा भारत राज्य सचिव के पद का प्रावधान किया गया तथा उसकी सहायता के लिए 15 सदस्यीय इंडिया काउंसिल (मंत्रणा समिति) की स्थापना की गई। इन सदस्यों में 8 की नियुक्ति ब्रिटिश सरकार द्वारा तथा 7 की नियुक्ति ‘कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स’ द्वारा किया जाना सुनिश्चित किया गया।
– भारत सचिव ब्रिटिश कैबिनेट का सदस्य होता था और इस प्रकार संसद के प्रति उत्तरदायी होता था।
– 1858 के अधिनियम के तहत भारत के गवर्नर जनरल को वायसराय कहा जाने लगा। इस तरह लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने। ब्रिटिश के साम्राज्य विस्तार पर रोक, धार्मिक मामलों में अह-स्तक्षेप, सबके लिए एक समान कानूनी सुरक्षा उपलब्ध कराना, भारतीयों के प्राचीन अधिकारों की रक्षा व रीति-रिवाजों के प्रति सम्मान के वायदे भारत सरकार अधिनियम, 1858 के तहत किए गए
1857 के विद्रोह के बारे में इतिहासकारों के मत
- “यह धर्मांधों का ईसाइयों के विरुद्ध एक धर्मयुद्ध था”- एल.ई.आर. रीज
- यह राष्ट्रीय विद्रोह था, न कि सिपाही विद्रोह – बेंजामिन डिजरैली
- 1857 का विद्रोह न तो प्रथम था, न ही राष्ट्रीय था और यह न ही स्वतंत्रता संग्राम था। – आर. सी. मजूमदार
- यह पूर्णतया देशभक्ति रहित और स्वार्थी सिपाही विद्रोह था। – सीले
- यह सिपाही विद्रोह के अतिरिक्त कुछ नहीं था – जॉन लॉरेंस
- यह सभ्यता एवं बर्बरता का संघर्ष था। – टी.आर. होम्स
- यह विद्रोह राष्ट्रीय स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया सुनियोजित स्वतंत्रता संग्राम था। – वी.डी. सावरकर
- यह अंग्रेज़ों के विरुद्ध हिंदू व मुसलमानों का षड्यंत्र था। – जेम्स आउट्रम व डब्ल्यू. टेलर
1857 के विद्रोह से संबंधित प्रमुख पुस्तकें एवं उनके लेखक
‘द इंडियन वार ऑफ इंडिपेंडेस 1857’ | वी. डी. सावरकर |
‘द पीजेंट एंड द राज’ | एरिक थॉमस स्टोक्स |
1857 द ग्रेट रिवोल्ट’ | अशोक मेहता |
‘द सिपॉय म्यूटिनी एंड रिवोल्ट ऑफ 1857’ | आर. सी. मजूमदार |
‘सिविल रिबेलियन इन इंडियन म्यूटिनीस 1857-1859’ | शशि भूषण चौधरी |
‘द हिस्ट्री ऑफ द सिपॉय वॉर इन इंडिया’ | जॉन विलियम काये |
द कॉजेज ऑफ द इंडियन रिवोल्ट (1858) | सर सैय्यद अहमद खाँ |
‘द सिपॉय म्यूटिनी ऑफ 1857’ ए सोशल एनालिसिस | एच.पी. चट्टोपाध्याय |
‘1857’ | एस.एन.सेन |
1857 का विद्रोह संक्षेप में | ||
केन्द्र | विद्रोही | विद्रोह कुचलने वाले अंग्रेज अधिकारी |
दिल्ली11-12 मई, 1857 | बहादुरशाह, बख्त खाँ | निकलसन, हडसन |
कानपुर5 जून, 1857 ई. | नाना साहब, तात्या टोपे | कॉलिन कैम्पबेल, हेवलॉक |
लखनऊ/अवध4 जून, 1857 ई. | बेगम हजरत महल | कैंम्बवेल |
झाँसी, ग्वालियर4 जून, 1857 | रानी लक्ष्मी, तात्या टोपे | जनरल ह्यूरोज |
जगदीशपुर12 जून,1857 | कुंवर सिंह | विलियम टेलर, विंसेट आयर |
फैजाबादजून, 1857 | मौलवी अहमद उल्ला | जनरल रेनॉर्ड |
इलाहाबाद6 जून, 1857 | लियाकत अली | कर्नल नील |
बरेलीजून, 1857 | खान बहादुर खान (बख्त खाँ) | विंसेट आयर, कैम्पबेल |
फतेहपुर | अजीमुल्ला | रेनर्ड एवं कैम्पबेल |
– डॉ. ताराचन्द को भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन का सरकारी इतिहासकार माना जाता है।
ब्रिटिश काल में गठित आयोग | ||||
आयोग | अध्यक्ष | स्थापना वर्ष | गवर्नर जनरल | विषय वस्तु |
इनाम आयोग | इनाम | 1852 ई. | लॉर्ड डलहौजी | भू-स्वामियों की उपाधियों की जाँच हेतु। |
हर्शल समिति | हर्शल | 1893 ई. | लॉर्ड लेंस डाउन | टकसाल संबंधी सुझाव के लिए। |
फ्रेजर आयोग | एन्ड्रफ्रेजर | 1902 ई. | लॉर्ड कर्जन | पुलिस प्रशासन। |
शाही आयोग | लॉर्ड इसलिंग्टन | 1912 ई. | लॉर्ड हार्डिग | लोक सेवा (नागरिक सेवा)। |
शाही आयोग | लॉर्ड ली | 1923 ई. | लॉर्ड रीडिंग | नागरिक सेवा। |
स्कीन समिति(भारतीय सैन्डहर्स्ट समिति) | सर एन्ड्रयू स्कीन | 1925 ई. | लॉर्ड रीडिंग | सेना का भारतीयकरण करने के बारे में। |
रेल समिति | सर विलियम एकवर्थ | 1924 ई. | लॉर्ड रीडिंग | भारतीय रेल। |
बटलर समिति | सर हारकोर्ट बटलर | 1927 ई. | लॉर्ड इरविन | देशी राज्यों व ब्रिटिश परमसत्ता के बीच संबंधों को परिभाषित करने के लिए। |
हिटले आयोग | जे.एच.हिटले | 1929 ई. | लॉर्ड इरविन | श्रमिकों के बारे में। |
लिण्डसे आयोग | ए.डी.लिण्डसे | 1929 ई. | लॉर्ड इरविन | मिशनरी शिक्षा के विकास के लिए |
भारतीय परिसीमन (सीमा निर्देश) समिति | सर लौरी हेमन्ड | 1935 ई. | लॉर्ड वेलिंगटन | निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन। |
विकेन्द्रीकरण पर शाही आयोग | – | 1908 ई. | लॉर्ड मिन्टो | स्थानीय स्वशासन तथा विकेन्द्रीकरण पर सिफारिश |
लोक सेवा आयोग | सर चार्ल्स एटचिन्सन | 1886 ई. | लॉर्ड डफरिन | सिविल सेवा परीक्षाप्रणाली के बारे में रिपोर्ट। |
मुड्डिमैन कमेटी (रिफोम इन्क्वायरी कमेटी) | एलेक्जेण्डर मुड्डिमैन | 1924 ई. | लॉर्ड रीडिंग | 1919 के अधिनियम के द्वैधशासन की जाँच। |
मुद्रा से संबंधित आयोग | |||
आयोग/समिति का नाम | गठन का वर्ष | मुख्य सिफारिशें व उद्देश्य | गवर्नर जनरल |
मेंसीफील्ड आयोग | 1866 ई. | मुद्रा समस्या पर विचार | लॉर्ड लारेन्स |
हर्शल समिति | 1893 ई. | टकसाल संबंधी सुझाव | लॉर्ड लेंसडाउन |
सर हेनरी फाउलर समिति | 1898 ई. | सौवरिन व रूपया दोनों एक शिलिंग चार पेन्स प्रति रुपये की दर से असीमित कानूनी टेंडर बना दिया गए। | लॉर्ड एल्ग्नि द्वितीय |
सर हेनरी बेमिगंटन समिति | 1919-20 ई. | इसकी सिफारिशों पर एक राजस्व आयोग (Fiscal Commission) गठित किया गया, जिसके अध्यक्ष एम. रहीममुल्ला थे। | लॉर्ड चेम्सफोर्ड |
हिल्डन यंग कमीशन | 1925 ई. | मुद्रा व्यवस्था पर सिफारिश | लॉर्ड रीडिंग |
चेम्बरलेन आयोग (द रॉयल कमीशन ऑन इंडियन फाइनेंस एण्ड करेन्सी) | 1931 ई. | मुद्रा प्रणाली पर सुझाव | लॉर्ड इरविन |
– 1861 ई. में पेपर एक्ट लागू हुआ। 1862 ई. में भारत में स्वीकृत पत्र मुद्रा की शुरुआत हुई।
– 1900 ई. में गोल्ड स्टैंडर्ड रिज़र्व की स्थापना हुई।
Indian Polity | यहाँ क्लिक करें |
Geography | यहाँ क्लिक करें |
Static Gk 2025 | यहाँ क्लिक करें |
Pingback: भारत में क्रांतिकारी आंदोलन - पहला चरण एवं दूसरा चरण