लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की शक्तियां और कार्य

अपने भारत की लोकसभा के बारे में तो जरूर सुना होगा और उसका एक अध्यक्ष होता है आखिर लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) की शक्तियां और कार्य क्या है इसके बारे में आप नहीं जानते तो चिंता ना करें हमारी इस पोस्ट को आखिरी तक पढ़ें जिसमे हम इस टॉपिक से संबंधित सभी जानकारी उपलब्ध करवा दी है लोकसभा के बारे में आप नीचे पढ़ सकते है 

लोकसभा अध्यक्ष

चुनाव

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  • अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव लोकसभा की प्रथम बैठक में निर्वाचित सदस्यों द्वारा किया जाता है।

त्याग पत्र

  • अध्यक्ष अपना त्याग पत्र उपाध्यक्ष को, उपाध्यक्ष अपना त्याग पत्र अध्यक्ष को देता है।

पद से हटाया जाना

  • लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष को तात्कालिक समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा उन्हें हटाया जाता है लेकिन इनकी जानकारी 14 दिन पूर्व अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को देनी होगी।
  • अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों का पद रिक्त होने पर ऐसा सदस्य अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करेगा जिसको राष्ट्रपति नियुक्त करेगा। अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति में लोकसभा द्वारा अवधारित व्यक्ति अध्यक्ष के कर्तव्यों का पालन करेगा। जब लोकसभा अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष को पद से हटाने का संकल्प लोकसभा में विचारधीन हो तब वह उसकी अध्यक्षता नहीं करेगा लेकिन उसे बोलने, कार्यवाही में भाग लेने, प्रथमत: मतदान करने का अधिकार होता है लेकिन मत बराबर होने की स्थिति में निर्णायक मत देने का अधिकार नहीं होता है।

लोकसभा अध्यक्ष की शक्तियाँ एवं कार्य

  • लोकसभा एवं राज्यसभा के संयुक्त अधिवेशन में अध्यक्षता करता है।
  • कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं इस बात का निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ही करता हैं।
  • दल-बदल के आधार पर अयोग्यता संबधी प्रश्नों का निर्णय करता है।
  • बराबर मत होने की दशा में निर्णायक मत देने का अधिकार है।
  • संसदीय शासन व्यवस्था होने के कारण कार्यपालिका को (मंत्रिपरिषद्) व्यवस्थापिका (लोकसभा) के नियंत्रण में कार्य करना पड़ता है।
  • अनुच्छेद 109 के अनुसार धन विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रस्तावित किये जाते हैं। वार्षिक बजट एवं अनुदान संबधी मांगें भी लोकसभा के समक्ष ही रखी जाती है।

किसी विधेयक पर दोनों सदनों में पूर्ण सहमति न होने पर राष्ट्रपति अनुच्छेद 108 के तहत संयुक्त अधिवेशन बुला सकता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। यह अधिवेशन सिर्फ साधारण विधेयक व वित्त विधेयक के सम्बन्ध में ही बुलाया जाता है जबकि धन विधेयक व संविधान संशोधन विधेयक के संबंध में नहीं बुलाया जाता है अभी तक 3 बार संयुक्त अधिवेशन बुलाया जा चुका है जो निम्न हैं-

विधेयकवर्षप्रधानमंत्री
दहेज प्रतिषेध विधेयक, 19601961जवाहरलाल नेहरू
बैंकिंग सेवा आयोग विधेयक1978मोरारजी देसाई
आतंकवाद निरोधक अध्यादेश2002अटल बिहारी वाजपेयी
  • संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष की अनुपस्थिति में लोकसभा उपाध्यक्ष करता है यदि वह भी अनुपस्थित हो तो राज्यसभा का उपसभापति करता है। अत: संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता राज्यसभा का सभापति (उपराष्ट्रपति) नहीं करता है क्योंकि वह किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है। संयुक्त बैठक का कोरम दोनों सदनों की कुल सदस्य संख्या का 1/10 भाग होती है।
  • किसी भी विधेयक की स्वीकृति के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 111 के अनुसार तीन विकल्प होते हैं-

(A) अनुमति दे सकता है ।

(B) अनुमति रोक सकता है।

(C) अपने सुझाव के साथ पुनर्विचार के लिए लौटा सकता है। किन्तु दोनों सदन विधेयक को पुन: संशोधन सहित पारित कर देते है तो राष्ट्रपति विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य होता है।

संसद में सामान्य प्रक्रिया

प्रश्नकाल

बैठक के पश्चात कार्यवाही का प्रथम घंटा (दोपहर-11-12) इसमें संसद सदस्यों द्वारा लोक महत्त्व के राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मामलों पर प्रश्न पूछे जाते हैं। इसमें तीन प्रकार के प्रश्न पूछे जाते हैं।

(i)  तारांकित प्रश्न – वह प्रश्न जिसका उत्तर तुरन्त मौखिक रूप में दिया जाये। इसमें पूरक प्रश्न पूछा जा सकता है।

(ii) अतांराकित प्रश्न – प्रश्न का उत्तर लिखित में दिया जाता है लेकिन पूरक प्रश्न नहीं पूछे जाते है।

(iii) अल्प सूचना प्रश्न – लोक महत्त्व के तात्कालिक मामलो से संबंधित जिसका उत्तर मौखिक में तात्कालिक दिया जाता है।

शून्यकाल

प्रश्नकाल के तुरन्त बाद का एक घंटे का समय जिसमें बिना पूर्व सूचना के सार्वजनिक महत्त्व का कोई भी प्रश्न उठाया जा सकता है। इस प्रकार संसदीय व्यवस्था में शून्यकाल भारत की देन है। इसके अलावा भी संसदीय प्रस्ताव है जिसमें स्थगन प्रस्ताव, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, विशेषाधिकार प्रस्ताव, निन्दा प्रस्ताव, कटौती प्रस्ताव, अविश्वास प्रस्ताव, विश्वास प्रस्ताव इत्यादि।

लोकसभा के अध्यक्ष

क्र.संनामअवधि
1.जी.वी. मावलंकर15 मई 1952 – 27 फरवरी 1956
2.एम.ए. अयंगर1956-1962
3.सरदार हुकुम सिंह1962-1967
4.एन. संजीव रेड्‌डी1967-1969
5.जी.एस. ढिल्लों1969-1975
6.बलीराम भगत1976-1977
7.एन. संजीव रेड्‌डी26 मार्च, 1977 – 13 जुलाई, 1977
8.के.एम. हेगड़े1977-1980
9.बलराम जाखड़1980-1989
10.रवि रे1989-1991
11.शिवराज पाटिल1991-1996
12.पी.ए. संगमा1996-1998
13.जी.एम.सी. बालयोगी1998-2002
14.मनोहर जोशी2002-2004
15.सोमनाथ चटर्जी2004-2009
16.मीरा कुमार2009-2014
17.सुमित्रा महाजन2014-2019
18.ओम बिड़ला19 जून, 2019 से

प्रोटेम स्पीकर

  जब नवीन लोकसभा चुनी जाती है तब राष्ट्रपति लोकसभा के उस व्यक्ति को कार्यवाहक अध्यक्ष नियुक्त करता है जिसे लोकसभा सदस्य होने का सबसे लम्बा अनुभव होता है। राष्ट्रपति उस सामयिक अध्यक्ष को शपथ दिलाता है। वह मुख्यत: दो कार्य करता है-

1.  नई लोकसभा के सदस्यों को शपथ दिलवाना।

2. लोकसभा की प्रथम बैठक की अध्यक्षता करना।

●  संविधान तथा लोकसभा प्रक्रिया नियमों के अंतर्गत तथा अन्यथा, प्रोटेम स्पीकर को वे सारी शक्तियाँ प्राप्त है जो कि अध्यक्ष को होती है। तथापि, वह तभी तक कार्य करता है जब तक लोकसभा द्वारा अध्यक्ष का निर्वाचन नहीं कर लिया जाता। प्रथम बैठक में अध्यक्ष चुने जाने के बाद उसका पद स्वत: ही समाप्त हो जाता है। (17 वीं लोकसभा में डॉ. वीरेन्द्र कुमार के द्वारा प्रोटेम स्पीकर की भूमिका निभाई गई थी।

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